"हमारे आस-पास के अंधेरे को कोसने से बेहतर है कि हम दीपक जलाएं"
“ब्रज परमार्थ कुँज” भारत, उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र श्रीकृष्ण की हृदय स्थली गोवर्धन में बनाया जा रहा है। निर्माण की देखरेख “ब्रज लोक संस्कृति एवं सेवा संस्थान” द्वारा की जा रही है, जिसे 15 सितम्बर 2011 में स्थापित किया गया। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है जो हमारे देश के परमार्थ विकास के लिए काम करता है। इसे विश्व प्रसिद्ध ब्रज क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ कला की उपासिका रासाचार्या वन्दनाश्री द्वारा स्थापित किया गया ।
श्रीकृष्ण की हृदय स्थली गोवर्धन मे नव निर्माण “ब्रज परमार्थ कुँज” द्वारा अनेक सेवा प्रकल्प चलाये जा रहे हैं। जिससे जुड़कर आप पुण्य के भागीदार बने एवं आपके अपने “परमार्थ कुँज परिवार” के सदस्य बनकर श्रीकृष्ण की प्राण प्रिय ब्रज संस्कृति को विश्व पटल पर स्थापित करने के लक्ष्य एवं मूल उद्देश्य को पूर्ण करें ।
“ब्रज परमार्थ कुँज” एक अद्भुत वास्तुशिल्प मॉडल है जो इस स्थल पर बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करेगा। इस गुलाबी पत्थरों वाले दिव्य अलौकिक परिसर में • तुलसी द्वारम् • श्रीराधा-नीलमणि मंदिरम् • शिव मंदिरम् • गोरी उद्यानम् • ब्रज कला • संस्कृति संग्रहालय • अन्नपूर्णा भंडारम् • भागवत मंडपम् श्री जमुना कुण्ड • कृष्ण कुटीरम् • चतुर्वेद यज्ञशाला • अतिथि प्रेम आश्रय • कामधेनु शरणम् होंगे ।
ब्रज परमार्थ कुँज का उद्देश्य भारतीय संस्कृति के संरक्षण को समर्पित कला, साहित्य, लोक संस्कृति और धर्मार्थ सेवा के रूप में धार्मिक गतिविधियों आदि जैसे विभिन्न उल्लेखनीय कार्य करना है
पंजीकृत कार्यालय: - ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय "जमुनावता मथुरा रोड़, गोवर्धन 281501"
प्रधान कार्यालय और संचार पता : - "4/55 श्रीराधापुरमस्टेट, मथुरा (281001) उत्तरप्रदेश, भारत” ।
यह ट्रस्ट सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट होगा जिसका कोई व्यावसायिक या लाभ उद्देश्य नहीं होगा। संपत्तियों, प्रतिभूतियों, धन और आय को भारत में नस्ल, धर्म, जातिया लिंग के किसी भी भेदभाव के बिना ट्रस्ट के उद्देश्यों के लिए लागू किया जाएगा और इसका कोई भी हिस्सा ट्रस्टियों के बीच वितरित नहीं किया जाएगा।
ट्रस्ट की सभी गतिविधियाँ केवल भारतीय क्षेत्राधिकार के भीतर ही संचालित की जाएंगी।
ट्रस्ट की उद्देश्य गतिविधियां बिना किसी लाभ के उद्देश्य के केवल भारत में ही की जाएंगी। ट्रस्ट किसी भी परिस्थिति में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई व्यवसाय नहीं करेगा या उद्यम नहीं करेगा और इस प्रकार धारा 11(4) के प्रावधानों और धारा 80जी (5) (1) के प्रावधान के अनुपालन की अलग-अलग पुस्तकों के रखरखाव का प्रश्न है। आयकर अधिनियम 1961 का प्रश्नन हीं उठता।
ट्रस्ट की सभी आय / मुनाफे का उपयोग ट्रस्ट की वस्तुओं के लिए किया जाएगा। आय / मुनाफे का कोई भी हिस्सा आईटी अधिनियम 1961 कीधारा 13(3) के तहत निर्दिष्ट किसी भी व्यक्ति के लाभ के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लागू नहीं किया जाएगा।
ट्रस्ट के लाभ जाति, पंथ, नस्ल, रंग, धर्म, लिंग आदि की परवाह किए बिना भारत के सभी नागरिकों के लिए खुले हैं।